AIDS एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जो HIV वायरस के इन्फेक्शन से होता है। यह वायरस व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को इतना कमजोर कर देता है कि सर्दी-जुखाम जैसी छोटी बीमारी से लड़ना भी मुश्किल हो जाता है। इस वायरस के नेचर की वजह से, इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, इसलिए एड्स से बचाव करना बेहद जरूरी है। एड्स की रोकथाम के लिए हर साल 01 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि कैसे एचआईवी का संक्रमण होता है और कैसे किया जा सकता है बचाव।
क्या है एड्स?
एड्स का पूरा नाम एकवायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम है। यह एचआईवी इन्फेक्शन का आखिरी चरण होता है। यह वायरस, शारीरिक संबंध बनाने के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, लेकिन इसके संक्रमण के और भी दूसरे कारण हो सकते हैं, जैसे- संक्रमित ब्लड ट्रांस्फयूजन, किसी और पर इस्तेमाल किए हुए इन्जेक्शन का प्रयोग, मां से बच्चे को जन्म के समय, ब्रेस्टफीड करना। समय पर एचआईवी संक्रमण का पता न लगने की वजह से एड्स हो सकता है। हालांकि, इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवाइयों की मदद से इसके इन्फेक्शन को कंट्रोल किया जा सकता है। यह वायरस इम्यून सिस्टम के टी-सेल्स पर हमला करता है, जिस वजह से इम्युनिटी कमजोर होने लगती है और अन्य दूसरी बीमारियों से बचाव करना मुश्किल हो जाता है।
क्या हैं इसके लक्षण?
क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार, एचआईवी वायरस के संक्रमण के तीन चरण होते हैं। एक्यूट एचआईवी इन्फेक्शन का सबसे पहला चरण होता है, जिसमें फ्लू जैसे लक्षण नजर आते हैं। इसके बाद दूसरा स्टेज क्लीनिकल लेटेंसी होता है। इस चरण में आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते और कई सालों तक यह स्टेज रह सकता है। इसके बाद आखिरी स्टेज एड्स होता है।
AIDS
इसके लक्षण कुछ ऐसे हो सकते हैं-
कमजोरी
बुखार
अधिक पसीना आना
ठंड लगना
रैशेज
लिंफ नॉड में सूजन
शरीर में दर्द
थकावट
डायरिया
मुंह में छाले
उल्टी
वजन कम होना