एक जंगल में एक चिड़िया रहती थी| वह रोज अपने बच्चों के लिए दाना ढूंढ़ने जाती थी| एक दिन वह अपने बच्चों के लिए दाना ढूंढ़ने गई थी | उसके बच्चें बहुत भूखे थे | वे चीं-चीं कर रहे थे | आज उनकी माँ को आने में देर हो गई थी | उनकी माँ कहीं दूर चली गई थी |
चिड़िया को दाना न मिला | वह और आगे गई | उसे एक किसान दिखाई दिया | उसके पास कुछ दाने थे | चिड़िया ने किसी तरह एक मोटा दाना अपनी चोंच में दबा लिया | वह लौटने लगी |
हवा ने चिड़िया को रोकना चाहा | वह नहीं रुकी | हवा बादलों को उड़ा लाई| बादलों ने आसमान को घेर लिया | बादल भी चिड़िया को रोकना चाहते थे| वह नहीं रुकी | वह उड़ती गई| बादल बरसने लगे |
चिड़िया ने सूझ-बूझ दिखाई | वह एक पेड़ पर बैठ गई | वह कौआ का पेड़ था | वह चिड़िया को मारने दौड़े | वह उसका दाना छीनने लगे| चिड़िया फिर उड़ने लगी | उसने दाना नहीं छोड़ा| वह कौआ के हाथ नहीं आई | कौयें थक गए | वे अपने पेड़ पर लौट आए |
बादल और जोर से बरसने लगे | चिड़िया घबराई नहीं अँधेरा हो गया था | वह देख नहीं सकती थी | उसके पंख भीग गए थे | वह दूसरे पेड़ पर पहुंची | यह बहुत बड़ा पेड़ था| उसकी एक मोटी डाल हवा से टूट गई थी | वहां एक खोह बन गई थी | खोह गहरी थी | बिजली चमक रही थी, इसलिए कभी-कभी रोशनी हो जाती थी| चिड़िया ने इस रोशनी में खोह खोज ली | वह खोह में छिपकर बैठ गई | पूरी रात उसे वहां बैठना पड़ा |
सुबह हुई | बादल जा चुके थे| चिड़िया ने मोटा दाना उठाया | वह अपने घर की ओर उड़ चली| उसे अपने बच्चों की चिंता हो रही थी | वह घर पहुंची आज चिड़िया अपनी सूझ-बूझ से बच सकी| बच्चे भूख से बेहाल थे | चिड़िया दाना तोड़-तोड़कर भूखे बच्चों को खिला रही थी| आज उसे बहुत अच्छा लग रहा था | हमें हर मुसीबत में सूझबूझ से काम लेना चाहिए |