हिन्दू धर्म में प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है | हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है |मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उसके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है।
पापमोचनी हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी मानी गई है। इस दिन श्रीहरि का पूजन, उनके मंत्रों का जाप, पाठ और धार्मिक अनुष्ठान करने से परिवार का हर सदस्य पापों से मुक्ति पाता है
पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त 4 अप्रैल को शाम 4 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन 5 मार्च को दोपहर 1 बजकर 28 मिनट पर खत्म होगी|
व्रत की पूजा विधि और लगाएं ये भोग
पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें | अपने घर और पूजा घर को अच्छी तरह साफ करके एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें |भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं. इसके बाद हल्दी या गोपी चंदन का तिलक लगाएं | भगवान विष्णु को पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं और भगवान विष्णु का ध्यान करें |पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें और आरती के साथ पूजा समाप्त करें |अगले दिन पूजा के बाद प्रसाद के साथ अपना व्रत खोलें |