मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के दादा महाराजा संग्राम सिंह एक साहसी राजपूत योद्धा थे। महाराणा संग्राम सिंह की आज जयंती मनाई जा रही है। संग्राम सिंह का जन्म 12 अप्रैल 1484 को राजस्थान के मालवा मेवाड़ जिले में हुआ। महाराणा संग्राम सिंह के दादा का नाम राणा कुंभा था, जो अपने समय के सबसे शक्तिशाली राजपूत राजा रहे थे। महाराणा संग्राम सिंह के पिता राजपूत शासक राणा रायमल थे। वह राजपूतों के सिसोदिया वंश के राजा थे। महाराणा संग्राम सिंह को राणा सांगा के नाम से भी जाना जाता है। आइये जानते हैं राणा सांगा के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
महाराजा संग्राम सिंह राणा कुंभा के पोते और राणा रायमल के पुत्र थे। राणा सांगा की माता का नाम रानी रतन कुंवर था। रायमल के तीन पुत्रों (पृथ्वीराज और जयमल) में राणा सांगा सबसे छोटे थे। हालांकि, परिस्थितियों के कारण उन्होंने अपने भाइयों के साथ एक भयंकर संघर्ष किया।
राणा सांगा के पिता राणा रायमल ने सोलहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में मेवाड़ पर शासन किया। वह एक दयालु और बहादुर राजा थे, जिन्होंने अपने राज्य के गौरवशाली इतिहास और परंपरा को कायम रखा। उनके तीन बेटे संग, पृथ्वीराज सीसोदिया और जयमल सीसोदिया अक्सर सिंहासन के उत्तराधिकार बनने के लिए एक-दूसरे से झगड़ते थे।
इब्राहिम लोधी और बाबर के बीच साल 1526 में पानीपत की जंग हुई। इस लड़ाई में बाबर जीत गया, लेकिन आगरे तक पहुंचने के लिए उन्हें चित्तौड़ में राणा सांगा और पूर्व में अफगनिस्तानियों से खतरा था। 21 फरवरी 1527 को बयाना में राणा सांगा और बाबर की नेनाओं में युद्ध हुआ। जिसमें बाबर की सेना की सेना हार गई। जिसके बाद अफगानी सेना ने बाबर का साथ छोड़ दिया।
पानीपत की लड़ाई के बाद यह आधुनिक भारत में लड़ी गई दूसरी बड़ी लड़ाई थी। राणा सांगा ने राजपूत को एकजुट किया और मुगल सम्राट बाबर की हमलावर ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। दोनों सेनाएं बराबर लड़ रही थी। लेकिन राजा शिलादित्य (सिलहड़ी तोमर) अपनी 30 हजार घुड़सवार सेना के साथ बाबर की सेना में शामिल हो गए। इस धोखाधड़ी के कारण, खानवा की जंग में राजपूत हार गए।
बाबर ने पानीपत में मरे हुए सैनिकों की खोपड़ियों से मीनार बनवा दी। युद्ध हारने के बाद राणा सांगा जंगल की तरफ चले गए और जंग की रणनीति बनाने लगे, लेकिन बाकी सैनिक इसके खिलाफ थे। इसलिए कुछ रियासी सरदारों बाबर से डर कर राणा सांगा को जहर दे दिया। जिसके बाद 30 जनवरी, 1528 को महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु हो गई। जिसके बाद भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी गई। फिर मुगल और राजपूतों में कई जंग हुई। लेकिन राणा सांगा जैसा साहस किसी अन्य राजा में नहीं था। राणा सांगा के इस तप ने आने वाली पीड़ियों को प्रेरित किया।