नई दिल्ली, 27 जनवरी । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि अज्ञानतावश कुछ लोग समान नागरिक संहिता की आलोचना कर रहे हैं। यूसीसी संविधान और राष्ट्र निर्माताओं का आदेश है, जिसका उद्देश्य लैंगिक समानता लाना है। लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए कुछ लोग राष्ट्रवाद को तिलांजलि देने में समय नहीं लगाते।
उपराष्ट्रपति ने आज राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम के प्रतिभागियों के पांचवें बैच के उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता की और उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए ऑनलाइन पोर्टल का भी उद्घाटन किया।
इस अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “कोई समान नागरिक संहिता लागू करने का विरोध कैसे कर सकता है? आपको संविधान सभा की बहसों का अध्ययन करना चाहिए, अध्ययन करना चाहिए कि देश की सर्वोच्च अदालत ने कितनी बार ऐसा संकेत दिया है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान को अपनाने के बाद अब जाकर ‘देव भूमि’ उत्तराखंड के माध्यम से समान नागरिक संहिता एक वास्तविकता बनी है। संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि देश अपने नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास करेगा। आज एक राज्य ने इसे किया है। उन्हें यकीन है कि वह समय दूर नहीं जब पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू होगी।
राष्ट्र-विरोधी आख्यानों को बेनकाब करने की अपील करते हुए उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि बहुत कम संख्या में कुछ लोग देश की संस्थाओं को बदनाम कर रहे हैं। इनका राष्ट्रवाद से बेहद कम जुड़ाव है। ऐसी परिस्थिति में इन विचारों को कुचलना होगा। उन पर प्रतिघात करना, कुठाराघात करना आज के नवयुवकों और नवयुवतियों के ऊपर सबसे बड़ा दायित्व है। उन्हें ऐसे लोगों को बेनकाब करना होगा।
अवैध प्रवासियों को गंभीर मुद्दा मानते हुए उपराष्ट्रपति ने अपेक्षा जताई है कि सरकार इस समस्या का समाधान करने में देरी नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासी लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। वे हमारी चुनाव प्रणाली को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। वे हमारे सामाजिक सद्भाव और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं।
उन्होंने कहा कि आज इस देश के लोगों ने पहली बार विकास का स्वाद चखा है। उनके पास घर में एक शौचालय, रसोई में गैस कनेक्शन, पाइप किया हुआ पानी, उनके लिए उपलब्ध इंटरनेट, सड़कें और हवाई संपर्क है।