DeepSeek, एक कम लागत वाला AI प्लेटफॉर्म, जो इन दिनों टेक जगत में काफी चर्चा में है, डेटा सुरक्षा और चीन से जुड़े उसके संबंधों को लेकर विवादों में घिर गया है. इसकी बढ़ती लोकप्रियता के बीच भारत सरकार इस प्लेटफॉर्म के संभावित खतरों पर विशेष ध्यान दे रही है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और यूजर प्राइवेसी को खतरा हो सकता है.
भारत में DeepSeek AI को लेकर क्यों बढ़ रही चिंताए ?
DeepSeek की प्राइवेसी पॉलिसी से पता चला है कि यह यूजर्स का निजी डेटा, जिसमें व्यक्तिगत जानकारी और अपलोड की गई फाइलें शामिल हैं, चीन में स्थित सर्वरों पर स्टोर करता है. यह भारत की महत्वपूर्ण डेटा को देश के अंदर रखने की नीति के खिलाफ जाता है, जिससे सरकार और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है.
भारत ने पहले भी चीनी ऐप्स और कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की है. TikTok और PUBG को इसी तरह की सुरक्षा चिंताओं के चलते बैन कर दिया गया था, जबकि Huawei और ZTE जैसी चीनी कंपनियों को टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से बाहर रखा गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर DeepSeek को भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना गया, तो इसे भी प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है.
DeepSeek के AI मॉडल में त्रुटियां और गलत जानकारी
DeepSeek के लॉन्च के बाद से ही इसके AI मॉडल पर सवाल उठ रहे हैं. यूजर्स ने रिपोर्ट किया है कि यह कई बार भारतीय राज्यों से जुड़ी गलत या भ्रामक जानकारी देता है. इसी तरह की समस्या पहले Google के AI प्लेटफॉर्म Gemini में भी देखी गई थी. यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि AI मॉडल पूरी तरह विश्वसनीय नहीं होते और कई बार गलत सूचनाएं फैला सकते हैं.
भारत में AI नियमन और DeepSeek की चुनौतियां
भारतीय नियामक संस्थाएं अभी तक यह तय नहीं कर पाई हैं कि AI प्लेटफॉर्म्स के कानूनी पहलुओं को कैसे नियंत्रित किया जाए. दिल्ली हाईकोर्ट में एक अहम मामला लंबित है, जिसमें यह सवाल उठाया गया है कि भारतीय अदालतें वैश्विक AI कंपनियों पर किस हद तक नियंत्रण कर सकती हैं. इसके अलावा, DeepSeek की डेटा पॉलिसी भारत के आगामी “डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम, 2025” से मेल नहीं खाती, जो डेटा सुरक्षा कानूनों को मजबूत करने के लिए बनाए जा रहे हैं.
DeepSeek पर साइबर हमले और बढ़ती निगरानी
DeepSeek को हाल ही में एक साइबर हमले का सामना करना पड़ा, जिसके बाद इसने चीन के बाहर के यूजर्स के लिए एक्सेस सीमित कर दिया. इसके बावजूद, DeepSeek का AI असिस्टेंट काफी लोकप्रिय हुआ है, क्योंकि इसे अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहद कम लागत पर विकसित किया गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को डेटा लोकलाइजेशन के सख्त नियम लागू करने चाहिए ताकि यूजर डेटा और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हो सके. सरकार का फैसला AI कंपनियों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है
“अगर DeepSeek भारत में यूजर्स को सेवाएं देता है, तो डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी हो सकती हैं,” कहते हैं Boolean Legal के संस्थापक लालू जॉन फिलिप. भारत सरकार का DeepSeek को लेकर लिया गया निर्णय यह तय कर सकता है कि भविष्य में क्रॉस-बॉर्डर AI प्लेटफॉर्म्स को किस तरह नियंत्रित किया जाएगा.
भारत की AI और साइबर सुरक्षा नीतियों को ध्यान में रखते हुए, DeepSeek का भविष्य अधर में लटका हुआ नजर आ रहा है. अगर इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना गया, तो इसे भी अन्य चीनी ऐप्स की तरह बैन किया जा सकता है.